
चंदेरी- चैत्र नवरात्रि के दौरान मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में गणगौर उत्सव मनाया जाता है। चंदेरी का तीन दिवसीय गणगौर महोत्सव अत्यंत प्रसिद्ध है। इनमे सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र लगभग तीन फिट उंची गणगौर प्रतिमाएं होती हैं
तीन दिनों के महोत्सव मेले के दौरान प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग इस महोत्सवआते हैं। स्थानीय लोगों के बीच गणगौर उत्सव के रूप में मशहूर इस आयोजन की सबसे खास बात यह है कि करीब डेढ़ सौ साल पुरानी गणगौर प्रतिमाएओं का श्रृंगार सोने के आभूषणों से किया जाता है। फिर उन्हें शहर में भ्रमण के लिए निकाला जाता है। गुरुवार से इस मेले का शुभारंभ हुआ भार्गव परिवार फूटाकुआं मोहल्ला से निकलने वाली गणगौर शोभा यात्रा नगर के मुख्य मार्गो से गाजे बाजे बाहरी नृत्यांगनाओं के साथ सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पुरुष ,महिलाएं नृत्य करते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए जो चंदेरी मेला परिसर में लोगो के दर्शनों के लिए जाकर रखी गई।
ज्ञातव्य हो की राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश के चंदेरी में गणगौर का यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है गणगौर महोत्सव
ऐतिहासिक नगरी चंदेेरी मे हर त्योहार अपने ही अलग अंदाज मे मनाया जाता है।गुरुवार को तीन दिवसीय गणगौर उत्सव प्रारंभ हुआ।गणगौर उत्सव के तहत घरों मे मिट्टी से बनाए गए भगवान शिव और पार्वती को बेसन और मेंदा के सुन्दर आभूषण पहनाकर पूजा अर्चना की गई।
इसके साथ ही चंदेेरी मे सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे गणगौर उत्सव की परम्परा के अनुसार मिट्टी से बनी सुन्दर दो जोडी शिव और पार्वती की मूर्तियों को सोने चांदी के आभूषण पहनाकर पूरे शहर मे बहार से आई नृत्यांगनाओ के साथ भ्रमण कराया गया।यह उत्सव तीन दिनों तक चलता है।वैसे तो मूलतः यह उत्सव राजस्थान का है ।चंदेेरी मे यह 100 से भी अधिक वर्षों से पूरे उत्साह के साथ मनाते आ रहे है।गणगौर उत्सव की शुरुआत फूटा कुआ मोहल्ला से भार्गव परिवार के यहाँ से उठने से होती है।जहां शिव और पार्वती की मूर्तियों की विशेष पूजा अर्चना के बाद बाहर से आई नृत्यांगनाओ द्वारा भगवान शिव और पार्वती के राजसीभेषभूषा मे होने के कारण नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है।
सुरक्षा के रहते है पुख्ता इंतजाम
बेश कीमती आभूषणों के साथ सुसज्जित गणगौर की सुरक्षा व्यवस्था में सशस्त्र बल के जवान तथा चंदेरी थाने से मध्य प्रदेश पुलिस के जवान रहते हैं चारों ओर सुरक्षा व्यवस्था बनाकर उन्हें सुरक्षित मेला ग्राउंड से वापस गंतव्य स्थल तक पहुंचाते हैं।
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